(मत्तगयंद सवैया) भगण (211) की आवृत्ति के बाद 2 गुरु (मत्तगयंद सवैया) भगण (211) की आवृत्ति के बाद 2 गुरु
अवलम्ब अगोचर शम्भु सदा, निज भक्तन को नित मान दियो।। अवलम्ब अगोचर शम्भु सदा, निज भक्तन को नित मान दियो।।
लोक बिसार बिसार सभी कुछ फाग व राग सुनाय रही हैं । लोक बिसार बिसार सभी कुछ फाग व राग सुनाय रही हैं ।
नीति -अनीति व धर्म -अधर्म विसार सभी मति मारन लागे । नीति -अनीति व धर्म -अधर्म विसार सभी मति मारन लागे ।
कृष्ण न द्वापर से सुध लें जब, कौन कहे अब कर्म की' बातें । कृष्ण न द्वापर से सुध लें जब, कौन कहे अब कर्म की' बातें ।
तुम राष्ट्र-प्रेरणा के नायक, तुम एक सूत्र के दायक हो; जो सकल विश्व को बेध सके, वैसे अमोघ तुम सायक ह... तुम राष्ट्र-प्रेरणा के नायक, तुम एक सूत्र के दायक हो; जो सकल विश्व को बेध सके, ...